कुछ क्षण जीवन में ऐसे आते हैं जो मन को भीतर तक झकझोर देते हैं। आज का दिन पालीगंज क्षेत्र के लिए बेहद पीड़ादायक रहा। तीन अलग-अलग गांवों से आई दुखद घटनाओं ने कई परिवारों को अपार कष्ट दिया — किसी ने अपनी बेटी खो दी, किसी ने बेटे को और किसी ने एक युवा जीवन को जाते देखा।
पनसुही गाँव की बेटी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु, जीवन बिगहा में बिजली की चपेट में आकर हरेन्द्र कुमार का निधन, और परशुरामपुर के रौशन शर्मा की इलाज के दौरान हुई मौत — ये घटनाएं केवल आंकड़े नहीं, बल्कि टूटते परिवारों की कहानियाँ हैं।
आज इन परिवारों से मिलकर शोक-संवेदना प्रकट की गई। उनका दुख बांटना, उन्हें ये विश्वास दिलाना कि वे अकेले नहीं हैं, हमारा कर्तव्य ही नहीं, एक मानवीय धर्म भी है। संबंधित अधिकारियों से बातचीत कर तत्काल मुआवज़ा और न्याय की मांग की गई है। "दुख की घड़ी में साथ" सिर्फ़ एक वाक्य नहीं, यह एक भावनात्मक प्रतिबद्धता है — कि हर दर्द में, हर संघर्ष में, हम अपनों के साथ खड़े हैं। यह साथ ही हमारी संवेदनशील राजनीति और सामाजिक ज़िम्मेदारी की असली पहचान है। Dr Sandeep Saurav