दुल्हिनबाजार के सोरमपुर, बड़की खड़वाँ, लक्ष्मीटोला और पालीगंज के धोखाहारा, बऊआ और बहादुरगंज जैसे गाँवों में जाकर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट की। हाल ही में दुल्हिनबाजार और पालीगंज क्षेत्रों में कुछ परिवारों ने अपनों को खोने का अत्यंत पीड़ादायक अनुभव सहा। दुख की इस घड़ी में उनके साथ खड़े होना, उनकी पीड़ा को साझा करना और उन्हें भावनात्मक संबल देना मानवीय कर्तव्य है।
इसी भावना के साथ मैं दुल्हिनबाजार और पालीगंज के विभिन्न गाँवों में उन शोक संतप्त परिवारों से मिला, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। हर घर में दुःख का माहौल था, आँखों में आँसू और दिलों में खालीपन। ऐसे समय में शब्द कम पड़ जाते हैं, लेकिन उपस्थिति, सहानुभूति और साथ का एहसास बहुत कुछ कह जाता है। मैंने परिवारजनों को सांत्वना दी, उनके दुःख में सहभागी बनने का प्रयास किया और यह विश्वास दिलाया कि इस कठिन समय में वे अकेले नहीं हैं।