बिहार के युवाओं का आक्रोश अब अपने चरम पर है। लगातार होने वाले परीक्षा पेपर लीक, भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं और वर्षों तक नौकरी के लिए इंतज़ार – ये सब अब सहन से बाहर हो गया है। पढ़े-लिखे युवा, जो वर्षों मेहनत करके प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, उन्हें बार-बार सिस्टम की विफलता का शिकार होना पड़ रहा है।
सरकार बार-बार आश्वासन देती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि न समय पर परीक्षा होती है, न ही परिणाम और न ही नौकरी। इससे युवा वर्ग में भारी निराशा और असंतोष व्याप्त है। अब युवाओं की आवाज़ स्पष्ट है – उन्हें सिर्फ़ भाषण नहीं, बल्कि रोज़गार और न्याय चाहिए।
यह आंदोलन सिर्फ़ परीक्षा व्यवस्था की ख़ामियों के ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि यह न्याय, पारदर्शिता और बेहतर भविष्य की माँग है। अब बिहार के युवा अपने हक़ के लिए खड़े हो चुके हैं – अब और इंतज़ार नहीं, “पेपर लीक की सरकार नहीं, नौकरी और न्याय चाहिए!”