जनता जाग चुकी है – अब वोटबंदी नहीं चलेगी" एक नारा मात्र नहीं, बल्कि वर्तमान समय की राजनीतिक और सामाजिक चेतना का प्रतीक है। वर्षों तक आम जनता को भ्रम, भावनाओं और खोखले वादों के आधार पर वोटबैंक में तब्दील करने की कोशिश की गई।
आज का नागरिक पहले से अधिक जागरूक, सूचनाओं से संपन्न और अपने अधिकारों को लेकर सजग है। वह अब जाति, धर्म, और भावनात्मक मुद्दों से परे जाकर विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और जवाबदेही जैसे वास्तविक मुद्दों पर नेताओं से सवाल कर रहा है। जनता अब जान चुकी है कि लोकतंत्र केवल वोट डालने का अधिकार नहीं है, बल्कि एक सक्रिय भागीदारी है,
वोटबंदी — यानी आम जनता को मतदान से वंचित करने या किसी भी प्रकार से उनके मताधिकार को प्रभावित करने का प्रयास — अब काम नहीं आने वाला। चाहे वह प्रशासनिक स्तर पर हो, चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी हो या फिर जानबूझकर दिक्कतें पैदा करना हो, अब जनता इन चालों को समझ चुकी है।