जीविका दीदियों ने अपने हक़ और अधिकार की मांग को लेकर दुल्हिनबाज़ार में अनिश्चितकालीन धरना जारी रखा है। प्रशासन और जीविका तथा बैंक के पदाधिकारियों द्वारा दीदियों को डराने-धमकाने की लगातार कोशिशों के बावजूद, वे अपने अधिकारों के प्रति पूरी तरह से दृढ़ संकल्पित हैं। उनका संघर्ष इस बात का स्पष्ट संकेत है कि ग़रीब महिलाओं के हक़ की यह लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुकी है।
विधायक डॉ. संदीप सौरभ का समर्थन
आज विधायक डॉ. संदीप सौरभ ने धरने में शामिल होकर जीविका दीदियों के संघर्ष का समर्थन किया और उनके साथ मजबूती से खड़े होने का आश्वासन दिया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जीविका दीदियों के साथ हो रहे अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनके साथियों के समर्थन में बोलते हुए, डॉ. सौरभ ने अधिकारियों से साफ शब्दों में कहा कि दीदियों को डराने-धमकाने की शर्मनाक कोशिशें तुरंत बंद होनी चाहिए।
"दीदियों का संघर्ष पूरी तरह जायज़ है और उनके अधिकारों की लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक उन्हें उनका हक़ नहीं मिल जाता," डॉ. सौरभ ने अधिकारियों के साथ हुई बैठक में कहा। बैठक में उन्होंने BPM और DPM अधिकारियों से भी यह सुनिश्चित करने को कहा कि दीदियों को उनके काम के लिए उचित पहचान पत्र और वेतनमान मिले, ताकि उनके अधिकारों का हनन बंद हो सके।
प्रशासन द्वारा दबाव बेअसर, दीदियों का दृढ़ संकल्प
धरने पर बैठी जीविका दीदियाँ प्रशासन और बैंक अधिकारियों के दबाव में आने के बजाय अपने अधिकारों के लिए और भी अधिक संगठित और एकजुट हो रही हैं। दीदियों का कहना है कि वे किसी भी तरह के डराने-धमकाने से पीछे नहीं हटेंगी।
"हम अपने हक़ के लिए लड़ रहे हैं और हमारी यह लड़ाई जीतने तक चलेगी। किसी भी दबाव या धमकी से हम नहीं डरते। हमारी मांग है कि हमें पहचान पत्र और वेतनमान मिले, और इस अधिकार की लूट को अब बंद किया जाए," एक जीविका दीदी ने कहा।
वेतनमान और पहचान पत्र की मांग
धरने की प्रमुख मांग यह है कि सभी जीविका कैडरों को उचित पहचान पत्र और वेतनमान दिया जाए। दीदियों का आरोप है कि उन्हें वर्षों से उनके हक़ का वेतन और सुविधाएँ नहीं मिल रही हैं, जिससे उनके जीवन में असुरक्षा और आर्थिक कठिनाइयाँ बढ़ रही हैं।
"हमारे अधिकारों की इस लूट को अब बंद करना होगा। हम बिना पहचान पत्र के काम कर रहे हैं और हमें हमारे मेहनत का वेतन नहीं दिया जा रहा है। यह अन्याय है और इसे अब बंद होना चाहिए," एक अन्य जीविका दीदी ने अपने आक्रोश को व्यक्त किया।
आंदोलन को मिल रही सार्थक दिशा
यह आंदोलन अब और भी व्यापक रूप ले सकता है, क्योंकि दीदियाँ किसी भी कीमत पर अपने अधिकारों के लिए पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। डॉ. संदीप सौरभ के समर्थन से आंदोलन को एक नया बल मिला है, और अधिकारियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वे दीदियों की मांगों पर तत्काल ध्यान दें।
जीविका दीदियों का संकल्प
जीविका दीदियों ने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक उन्हें उनका हक़ नहीं मिल जाता। उनके लिए यह लड़ाई केवल आर्थिक अधिकारों की नहीं, बल्कि उनके सम्मान और गरिमा की भी है।
"हमारी लड़ाई केवल हमारे वेतन की नहीं, बल्कि हमारे सम्मान की है। हम इस लड़ाई को अंतिम जीत तक जारी रखेंगे," दीदियों ने अपने संकल्प को दोहराया।
डॉ. संदीप सौरभ ने भी अपने बयान में कहा, "हम जीविका दीदियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। यह सिर्फ दीदियों की नहीं, बल्कि पूरे समाज की लड़ाई है, और जब तक न्याय नहीं मिलता, हम चुप नहीं बैठेंगे।"