बिहार में शिक्षा की मांग करना अब अपराध बनता जा रहा है। पूर्णिया में छात्रों पर उस समय लाठियां बरसा दी गईं जब वे केवल अपना रजिस्ट्रेशन कराने DRCC कार्यालय पहुंचे थे। यह घटना न केवल दुखद है बल्कि नीतीश सरकार के तथाकथित "शिक्षा मॉडल" की असलियत भी उजागर करती है।
क्या शिक्षा की मांग करना गुनाह है? क्या भविष्य संवारने की आकांक्षा रखने वाले युवाओं को अब अपनी आवाज़ भी नहीं उठाने दी जाएगी? यह समय है सवाल उठाने का, अन्यथा आने वाली पीढ़ियों को शिक्षा की जगह खौफ और दमन ही विरासत में मिलेगा। पूर्णिया ज़िले में छात्र जब डिग्री और प्रमाण पत्रों के रजिस्ट्रेशन के लिए DRCC (जिला निबंधन परामर्श केंद्र) कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें जवाब में कागज़ नहीं, बल्कि डंडे मिले।